संरचनात्मक–मूल्याङ्कनम्–3–पाठ्यक्रमः (FA3 Syllabus) २०१६–१७
कक्षा – अष्टमी विषयः
– संस्कृतम्
१. शब्दरूपाणि – मुनि, मति
| तत् (त्रिषु लिङ्गेषु) ।
२. धातुरूपाणि – (क) वद्, नम्, त्यज्, रच् (लट्–लृट्–लोट्–लङ्–विधिलिङ्–लकारेषु) ।
(ख)
लभ्, रुच् (लङ्–लकारे) ।
३. प्रत्ययौ – तुमुन्, क्त ।
४. अव्ययानि – पुरा, ऋते, विना, नमः, एव, उच्चैः,
अधुना, श्वः, ह्यः ।
५. सन्धिः – वृद्धिः
६. संख्याः – ५१ तः ७५ [51-75]
५. पाठौ – (7)
क्षमस्व महर्षे ! क्षमस्व ।
(8) अविश्वस्ते न विश्वसेत् ।
________________________________
॥ शब्दरूपाणि ॥
मुनि = महात्मा, तपस्वी
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
मुनिः
|
मुनी
|
मुनयः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
मुनिम्
|
मुनी
|
मुनीन्
|
तृतीया विभक्तिः
|
मुनिना
|
मुनिभ्याम्
|
मुनिभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
मुनये
|
मुनिभ्याम्
|
मुनिभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
मुनेः
|
मुनिभ्याम्
|
मुनिभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
मुनेः
|
मुन्योः
|
मुनीनाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
मुनौ
|
मुन्योः
|
मुनिषु
|
सम्बोधनम्
|
हे मुने
!
|
हे मुनी
!
|
हे मुनयः
!
|
_____________________________________
मति = बुद्धि
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
मतिः
|
मती
|
मतयः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
मतिम्
|
मती
|
मतीः
|
तृतीया विभक्तिः
|
मत्या
|
मतिभ्याम्
|
मतिभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
मत्यै,
मतये
|
मतिभ्याम्
|
मतिभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
मत्याः,
मतेः
|
मतिभ्याम्
|
मतिभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
मत्याः,
मतेः
|
मत्योः
|
मतीनाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
मत्याम्,
मतौ
|
मत्योः
|
मतिषु
|
सम्बोधनम्
|
हे मते
!
|
हे मती !
|
हे मतयः
!
|
_____________________________________
तत् = वह (पुंलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
सः
|
तौ
|
ते
|
द्वितीया विभक्तिः
|
तम्
|
तौ
|
तान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
तेन
|
ताभ्याम्
|
तैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
तस्मै
|
ताभ्याम्
|
तेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
तस्मात्
|
ताभ्याम्
|
तेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
तस्य
|
तयोः
|
तेषाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
तस्मिन्
|
तयोः
|
तेषु
|
तत् = वह (स्त्रीलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
सा
|
ते
|
ताः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
ताम्
|
ते
|
ताः
|
तृतीया विभक्तिः
|
तया
|
ताभ्याम्
|
ताभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
तस्यै
|
ताभ्याम्
|
ताभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
तस्याः
|
ताभ्याम्
|
ताभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
तस्याः
|
तयोः
|
तासाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
तस्याम्
|
तयोः
|
तासु
|
तत् = वह (नपुंसकलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
तत्
|
ते
|
तानि
|
द्वितीया विभक्तिः
|
तत्
|
ते
|
तानि
|
तृतीया विभक्तिः
|
तेन
|
ताभ्याम्
|
तैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
तस्मै
|
ताभ्याम्
|
तेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
तस्मात्
|
ताभ्याम्
|
तेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
तस्य
|
तयोः
|
तेषाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
तस्मिन्
|
तयोः
|
तेषु
|
–––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––
।। धातुरूपाणि ।।
वद् = बोलना
(लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
वदति
|
वदतः
|
वदन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
वदसि
|
वदथः
|
वदथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
वदामि
|
वदावः
|
वदामः
|
वद् = बोलना
(लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
वदिष्यति
|
वदिष्यतः
|
वदिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
वदिष्यसि
|
वदिष्यथः
|
वदिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
वदिष्यामि
|
वदिष्यावः
|
वदिष्यामः
|
वद् = बोलना
(लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
वदतु
|
वदताम्
|
वदन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
वद
|
वदतम्
|
वदत
|
उत्तम–पुरुषः
|
वदानि
|
वदाव
|
वदाम
|
वद् = बोलना
(लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अवदत्
|
अवदताम्
|
अवदन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अवदः
|
अवदतम्
|
अवदत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अवदम्
|
अवदाव
|
अवदाम
|
वद् = बोलना
(विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
वदेत्
|
वदेताम्
|
वदेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
वदेः
|
वदेतम्
|
वदेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
वदेयम्
|
वदेव
|
वदेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
नम् = नमस्कार
करना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
नमति
|
नमतः
|
नमन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
नमसि
|
नमथः
|
नमथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
नमामि
|
नमावः
|
नमामः
|
नम् = नमस्कार
करना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
नंस्यति
|
नंस्यतः
|
नंस्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
नंस्यसि
|
नंस्यथः
|
नंस्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
नंस्यामि
|
नंस्यावः
|
नंस्यामः
|
नम् = नमस्कार
करना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
नमतु
|
नमताम्
|
नमन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
नम
|
नमतम्
|
नमत
|
उत्तम–पुरुषः
|
नमानि
|
नमाव
|
नमाम
|
नम् = नमस्कार
करना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अनमत्
|
अनमताम्
|
अनमन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अनमः
|
अनमतम्
|
अनमत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अनमम्
|
अनमाव
|
अनमाम
|
नम् = नमस्कार
करना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
नमेत्
|
नमेताम्
|
नमेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
नमेः
|
नमेतम्
|
नमेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
नमेयम्
|
नमेव
|
नमेम
|
–––––––––––––––––––––––––
त्यज् = छोड़ना
(लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
त्यजति
|
त्यजतः
|
त्यजन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
त्यजसि
|
त्यजथः
|
त्यजथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
त्यजामि
|
त्यजावः
|
त्यजामः
|
त्यज् = छोड़ना
(लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
त्यक्ष्यति
|
त्यक्ष्यतः
|
त्यक्ष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
त्यक्ष्यसि
|
त्यक्ष्यथः
|
त्यक्ष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
त्यक्ष्यामि
|
त्यक्ष्यावः
|
त्यक्ष्यामः
|
त्यज् = छोड़ना
(लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
त्यजतु
|
त्यजताम्
|
त्यजन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
त्यज
|
त्यजतम्
|
त्यजत
|
उत्तम–पुरुषः
|
त्यजानि
|
त्यजाव
|
त्यजाम
|
त्यज् = छोड़ना
(लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अत्यजत्
|
अत्यजताम्
|
अत्यजन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अत्यजः
|
अत्यजतम्
|
अत्यजत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अत्यजम्
|
अत्यजाव
|
अत्यजाम
|
त्यज् = छोड़ना
(विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
त्यजेत्
|
त्यजेताम्
|
त्यजेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
त्यजेः
|
त्यजेतम्
|
त्यजेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
त्यजेयम्
|
त्यजेव
|
त्यजेम
|
–––––––––––––––––––––––––
रच् = बनाना
(लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रचयति
|
रचयतः
|
रचयन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
रचयसि
|
रचयथः
|
रचयथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
रचयामि
|
रचयावः
|
रचयामः
|
रच् = बनाना
(लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रचयिष्यति
|
रचयिष्यतः
|
रचयिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
रचयिष्यसि
|
रचयिष्यथः
|
रचयिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
रचयिष्यामि
|
रचयिष्यावः
|
रचयिष्यामः
|
रच् = बनाना
(लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रचयतु
|
रचयताम्
|
रचयन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
रचय
|
रचयतम्
|
रचयत
|
उत्तम–पुरुषः
|
रचयानि
|
रचयाव
|
रचयाम
|
रच् = बनाना
(लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अरचयत्
|
अरचयताम्
|
अरचयन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अरचयः
|
अरचयतम्
|
अरचयत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अरचयम्
|
अरचयाव
|
अरचयाम
|
रच् = बनाना
(विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रचयेत्
|
रचयेताम्
|
रचयेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
रचयेः
|
रचयेतम्
|
रचयेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
रचयेयम्
|
रचयेव
|
रचयेम
|
–––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––
लभ् = प्राप्त होना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अलभत
|
अलभेताम्
|
अलभन्त
|
मध्यम–पुरुषः
|
अलभथाः
|
अलभेथाम्
|
अलभध्वम्
|
उत्तम–पुरुषः
|
अलभे
|
अलभावहि
|
अलभामहि
|
रुच् = अच्छा लगना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अरोचत
|
अरोचेताम्
|
अरोचन्त
|
मध्यम–पुरुषः
|
अरोचथाः
|
अरोचेथाम्
|
अरोचध्वम्
|
उत्तम–पुरुषः
|
अरोचे
|
अरोचावहि
|
अरोचामहि
|
–––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––
प्रत्ययः (Suffix)
प्रत्यय की परिभाषा - जो शब्दांश धातु अथवा शब्द के अन्त में जुड़कर अर्थ को परिवर्तित/प्रभावित कर दे, उसे ‘प्रत्यय’
कहते हैं।
‘तुमुन्’
o
जब दो क्रियाओं का कर्ता एक हो
और उनमें एक क्रिया निमित्तबोधक हो तो धातु से ‘तुमुन्’ प्रत्यय लगता है।
o
‘के लिए’ अर्थ में ‘तुमुन्’
प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे - पठितुम् = पढ़ने के लिए।
o
‘तुमुन्’ का ‘तुम्’
शेष रहता है।
उदाहरण -
धातु + प्रत्यय रूप
दा + तुमुन् = दातुम्
पा + तुमुन् = पातुम्
ज्ञा + तुमुन् = ज्ञातुम्
स्था + तुमुन् = स्थातुम्
पठ् + तुमुन् = पठितुम्
खेल् + तुमुन् = खेलितुम्
हस् + तुमुन् = हसितुम्
धाव् + तुमुन् = धावितुम्
नम् + तुमुन् = नन्तुम्
गम् + तुमुन् = गन्तुम्
दृश् +
तुमुन् = द्रष्टुम्
पृच्छ्
+ तुमुन् = प्रष्टुम्
वच् + तुमुन् = वक्तुम्
कृ + तुमुन् = कर्तुम्
श्रु + तुमुन् = श्रोतुम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
‘क्त’ (‘क्त’)
o
धातु से भूतकालिक विशेषण (Past
participle) बनाने के लिए ‘क्त’ प्रत्यय का प्रयोग होता है।
o
‘क्त’ प्रत्यय
क्रिया की समाप्ति का ज्ञान कराता है। जैसे - पठितः = पढ़ा गया।
o
‘क्त’ का ‘त’
शेष रहता है।
o
‘क्त’ प्रत्यय
के साथ कर्मवाच्य (Passive
voice) का प्रयोग होता है।
o
इस प्रत्यय के साथ कर्ता में
तृतीया व कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है।
o
इसके रूप पुंलिङ्ग में ‘देव’,
स्त्रीलिङ्ग में ‘लता’ व नपुंसकलिङ्ग में ‘फल’ की
तरह चलते हैं।
o
‘क्त’ प्रत्यय
के लिङ्ग व वचन कर्म के अनुसार होते हैं। जैसे - देवेन पाठः पठितः। (देव के द्वारा पाठ पढ़ा
गया।)
o
रमया फलानि खादितानि। (रमा के
द्वारा फल खाये गए।)
उदाहरण -
धातु + प्रत्यय मूलरूप पुंलिङ्ग स्त्रीलिङ्ग नपुंसकलिङ्ग
ज्ञा + क्त ज्ञात ज्ञातः ज्ञाता ज्ञातम्
या + क्त यात यातः याता यातम्
कृ + क्त कृत कृतः कृता कृतम्
पठ् + क्त पठित पठितः पठिता पठितम्
खाद् + क्त खादित खादितः खादिता खादितम्
लिख् + क्त लिखित लिखितः लिखिता लिखितम्
क्रीड् + क्त क्रीडित क्रीडितः क्रीडिता क्रीडितम्
गम् + क्त गत गतः गता गतम्
दृश् + क्त दृष्ट दृष्टः दृष्टा दृष्टम्
नश् + क्त नष्ट नष्टः नष्टा नष्टम्
पा + क्त पीत पीतः पीता पीतम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
अव्ययम्
|
|||
क्र.सं.
|
अव्ययम्
|
अर्थः
|
वाक्यरचना
|
१
|
पुरा
|
पहले
|
पुरा जनकः मिथिलायाः राजा आसीत्।
|
२
|
ऋते
|
(के)
बिना
|
ज्ञानात्
ऋते मुक्तिः न भवति ।
|
३
|
विना
|
(के)
बिना
|
जलं/जलेन
विना जीवनं नास्ति ।
|
४
|
नमः
|
नमस्कार
|
शिवाय
नमः । गुरवे नमः ।
|
५
|
एव
|
ही
|
सः एव
मम गुरुः अस्ति ।
|
६
|
नीचैः
|
नीचे
|
पर्वतस्य
नीचैः नदी वहति ।
|
७
|
उच्चैः
|
ऊँचा
|
वने
हरिणः उच्चैः कूर्दति ।
|
८
|
अधुना
|
अब
|
अधुना
सर्वे छात्राः बहिः खेलन्ति ।
|
९
|
ह्यः
|
कल
(बीता हुआ)
|
ह्यः मम गृहे उत्सवः आसीत् ।
|
१०
|
श्वः
|
कल
(आने वाला)
|
श्वः विद्यालये विज्ञान–प्रदर्शनी
भविष्यति ।
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
।। वृद्धि–सन्धिः ।।
नियम -
अ/आ के बाद ए/ऐ
आने पर दोनों के स्थान पर ‘ऐ’,
अ/आ के बाद ओ/औ
आने पर दोनों के स्थान पर ‘औ’
तथा
अकारान्त/आकारान्त
उपसर्ग के बाद ऋ आने पर दोनों के स्थान पर ‘आर्’ हो जाता है।
उदाहरण -
( अ/आ + ए/ऐ = ऐ )
एक + एकम् = एकैकम्
परम + ऐश्वर्यम् = परमैश्वर्यम्
सदा + एव = सदैव
जनता + ऐक्यम् = जनतैक्यम्
( अ/आ + ओ/औ = औ )
जल + ओघः = जलौघः
वन + औषधिः = वनौषधिः
महा + ओषधम् = महौषधम्
महा + औदार्यम् = महौदार्यम्
[अ/आ
(अकारान्त/आकारान्त उपसर्ग) + ऋ
= आर् ]
उप + ऋच्छति = उपार्च्छति
प्र + ऋणम् = प्रार्णम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
संख्या
(51-75)
|
||||
51
|
एकपञ्चाशत्
|
71
|
एकसप्ततिः
|
|
52
|
द्विपञ्चाशत्
|
72
|
द्विसप्ततिः
|
|
53
|
त्रिपञ्चाशत्
|
73
|
त्रिसप्ततिः
|
|
54
|
चतुःपञ्चाशत्
|
74
|
चतुःसप्ततिः
|
|
55
|
पञ्चपञ्चाशत्
|
75
|
पञ्चसप्ततिः
|
|
56
|
षट्पञ्चाशत्
|
|||
57
|
सप्तपञ्चाशत्
|
|||
58
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अष्टपञ्चाशत्
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59
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नवपञ्चाशत्
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60
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षष्टिः
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61
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एकषष्टिः
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62
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द्विषष्टिः
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63
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त्रिषष्टिः
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64
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चतुष्षष्टिः
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65
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पञ्चषष्टिः
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66
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षट्षष्टिः
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67
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सप्तषष्टिः
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68
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अष्टषष्टिः
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69
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नवषष्टिः
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70
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सप्ततिः
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sir digital india par essay nahi mmil raha hai
ReplyDeleteआत्मदीपो भव ।
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