__________________________________
।। दीर्घ-सन्धिः ।।
नियमः –
यदि पूर्व पद (पहले शब्द) का अन्तिम स्वर अ/आ,
इ/ई, उ/ऊ अथवा ऋ/ॠ हो तथा उत्तर पद (दूसरे शब्द) का पहला
स्वर भी उसी समूह का (अ/आ, इ/ई, उ/ऊ अथवा ऋ/ॠ) हो तो दोनों के स्थान पर दीर्घ (आ, ई, ऊ, ॠ) हो जाता है ।
पूर्वपदस्य अन्तिमवर्णः +
|
उत्तरपदस्य
प्रथमवर्णः
|
= परिणामः
|
अ/आ +
|
अ/आ
|
= आ
|
इ/ई +
|
इ/ई
|
= ई
|
उ/ऊ +
|
उ/ऊ
|
= ऊ
|
ऋ/ॠ +
|
ऋ/ॠ
|
= ॠ
|
उदाहरणम् ––
सत्य + अर्थः = सत्यार्थः
तथा + अपि = तथापि
हिम + आलयः = हिमालयः
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
दया + आनन्दः = दयानन्दः
मुनि + इन्द्रः = मुनीन्द्रः
रजनी + ईशः = रजनीशः
परि + ईक्षा = परीक्षा
मही + इन्द्रः = महीन्द्रः
साधु + उक्तिः = साधूक्तिः
सिन्धु + ऊर्मिः = सिन्धूर्मिः
वधू + उत्सवः = वधूत्सवः
भू + ऊर्जा = भूर्जा
पितृ + ऋणम् = पितॄणम्
मातृ + ऋद्धिः = मातॄद्धिः
_________________________
।। गुणसन्धिः ।।
उदाहरणानि ––
देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः (अ + इ = ए)
तथा + इति = तथेति (आ + इ = ए)
रमा + ईशः = रमेशः (आ + ई = ए)
हित + उपदेशः = हितोपदेशः (अ + उ = ओ)
जल + ऊर्मिः = जलोर्मिः (अ + ऊ = ओ)
गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम् (आ + उ = ओ)
महा + ऊर्मिः = महोर्मिः (आ + ऊ = ओ)
देव + ऋषिः = देवर्षिः (अ + ऋ = अर्)
महा + ऋषिः = महर्षिः (आ + ऋ = अर्)
तव + लृकारः = तवल्कारः (अ + लृ = अल्)
मम + लृकारः = ममल्कारः (अ + लृ = अल्)
सुर + ईशः = सुरेशः (अ + ई = ए)
जल + ऊर्मिः = जलोर्मिः (अ + ऊ = ओ)
गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम् (आ + उ = ओ)
महा + ऊर्मिः = महोर्मिः (आ + ऊ = ओ)
देव + ऋषिः = देवर्षिः (अ + ऋ = अर्)
महा + ऋषिः = महर्षिः (आ + ऋ = अर्)
तव + लृकारः = तवल्कारः (अ + लृ = अल्)
मम + लृकारः = ममल्कारः (अ + लृ = अल्)
सुर + ईशः = सुरेशः (अ + ई = ए)
–––––––––––––––––––––––
॥ शब्दरूपाणि ॥
"राम"
"राम"
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
रामः
|
रामौ
|
रामाः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
रामम्
|
रामौ
|
रामान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
रामेण
|
रामाभ्याम्
|
रामैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
रामाय
|
रामाभ्याम्
|
रामेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
रामात्
|
रामाभ्याम्
|
रामेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
रामस्य
|
रामयोः
|
रामाणाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
रामे
|
रामयोः
|
रामेषु
|
सम्बोधनम्
|
हे राम !
|
हे रामौ !
|
हे रामाः !
|
"लता"
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
लता
|
लते
|
लताः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
लताम्
|
लते
|
लताः
|
तृतीया विभक्तिः
|
लतया
|
लताभ्याम्
|
लताभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
लतायै
|
लताभ्याम्
|
लताभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
लतायाः
|
लताभ्याम्
|
लताभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
लतायाः
|
लतयोः
|
लतानाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
लतायाम्
|
लतयोः
|
लतासु
|
सम्बोधनम्
|
हे लते !
|
हे लते !
|
हे लताः !
|
"फल"
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
फलम्
|
फले
|
फलानि
|
द्वितीया विभक्तिः
|
फलम्
|
फले
|
फलानि
|
तृतीया विभक्तिः
|
फलेन
|
फलाभ्याम्
|
फलैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
फलाय
|
फलाभ्याम्
|
फलेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
फलात्
|
फलाभ्याम्
|
फलेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
फलस्य
|
फलयोः
|
फलानाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
फले
|
फलयोः
|
फलेषु
|
सम्बोधनम्
|
हे फल !
|
हे फले !
|
हे फलानि !
|
"नदी"
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
नदी
|
नद्यौ
|
नद्यः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
नदीम्
|
नद्यौ
|
नदीः
|
तृतीया विभक्तिः
|
नद्या
|
नदीभ्याम्
|
नदीभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
नद्यै
|
नदीभ्याम्
|
नदीभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
नद्याः
|
नदीभ्याम्
|
नदीभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
नद्याः
|
नद्योः
|
नदीनाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
नद्याम्
|
नद्योः
|
नदीषु
|
सम्बोधनम्
|
हे नदि !
|
हे नद्यौ !
|
हे नद्यः !
|
भवत् = आप (पुंलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
भवान्
|
भवन्तौ
|
भवन्तः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
भवन्तम्
|
भवन्तौ
|
भवतः
|
तृतीया विभक्तिः
|
भवता
|
भवद्भ्याम्
|
भवद्भिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
भवते
|
भवद्भ्याम्
|
भवद्भ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
भवतः
|
भवद्भ्याम्
|
भवद्भ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
भवतः
|
भवतोः
|
भवताम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
भवति
|
भवतोः
|
भवत्सु
|
भवत् = आप (स्त्रीलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
भवती
|
भवत्यौ
|
भवत्यः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
भवतीम्
|
भवत्यौ
|
भवतीः
|
तृतीया विभक्तिः
|
भवत्या
|
भवतीभ्याम्
|
भवतीभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
भवत्यै
|
भवतीभ्याम्
|
भवतीभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
भवत्याः
|
भवतीभ्याम्
|
भवतीभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
भवत्याः
|
भवत्योः
|
भवतीनाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
भवत्याम्
|
भवत्योः
|
भवतीषु
|
गच्छत् = जाता हुआ (पुंलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
गच्छन्
|
गच्छन्तौ
|
गच्छन्तः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
गच्छन्तम्
|
गच्छन्तौ
|
गच्छतः
|
तृतीया विभक्तिः
|
गच्छता
|
गच्छद्भ्याम्
|
गच्छद्भिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
गच्छते
|
गच्छद्भ्याम्
|
गच्छद्भ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
गच्छतः
|
गच्छद्भ्याम्
|
गच्छद्भ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
गच्छतः
|
गच्छतोः
|
गच्छताम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
गच्छति
|
गच्छतोः
|
गच्छत्सु
|
सम्बोधनम्
|
हे गच्छन् !
|
हे गच्छन्तौ !
|
हे गच्छन्तः !
|
गच्छत् = जाती हुई (स्त्रीलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
गच्छन्ती
|
गच्छन्त्यौ
|
गच्छन्त्यः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
गच्छन्तीम्
|
गच्छन्त्यौ
|
गच्छन्तीः
|
तृतीया विभक्तिः
|
गच्छन्त्या
|
गच्छन्तीभ्याम्
|
गच्छन्तीभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
गच्छन्त्यै
|
गच्छन्तीभ्याम्
|
गच्छन्तीभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
गच्छन्त्याः
|
गच्छन्तीभ्याम्
|
गच्छन्तीभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
गच्छन्त्याः
|
गच्छन्त्योः
|
गच्छन्तीनाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
गच्छन्त्याम्
|
गच्छन्त्योः
|
गच्छन्तीषु
|
सम्बोधनम्
|
हे गच्छन्ती !
|
हे गच्छन्त्यौ !
|
हे गच्छन्त्यः !
|
अस्मद् = मैं, हम
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
अहम्
|
आवाम्
|
वयम्
|
द्वितीया विभक्तिः
|
माम्
|
आवाम्
|
अस्मान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
मया
|
आवाभ्याम्
|
अस्माभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
मह्यम्
|
आवाभ्याम्
|
अस्मभ्यम्
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
मत्
|
आवाभ्याम्
|
अस्मत्
|
षष्ठी विभक्तिः
|
मम
|
आवयोः
|
अस्माकम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
मयि
|
आवयोः
|
अस्मासु
|
युष्मद् = तुम, तुम सब
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
त्वम्
|
युवाम्
|
यूयम्
|
द्वितीया विभक्तिः
|
त्वाम्
|
युवाम्
|
युस्मान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
त्वया
|
युवाभ्याम्
|
युष्माभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
तुह्यम्
|
युवाभ्याम्
|
युष्मभ्यम्
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
त्वत्
|
युवाभ्याम्
|
युष्मत्
|
षष्ठी विभक्तिः
|
तव
|
युवयोः
|
युष्माकम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
त्वयि
|
युवयोः
|
युष्मासु
|
किम् = कौन/क्या (पुंलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
कः
|
कौ
|
के
|
द्वितीया विभक्तिः
|
कम्
|
कौ
|
कान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
केन
|
काभ्याम्
|
कैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
कस्मै
|
काभ्याम्
|
केभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
कस्मात्
|
काभ्याम्
|
केभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
कस्य
|
कयोः
|
केषाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
कस्मिन्
|
कयोः
|
केषु
|
किम् = कौन/क्या (स्त्रीलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
का
|
के
|
काः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
काम्
|
के
|
काः
|
तृतीया विभक्तिः
|
कया
|
काभ्याम्
|
काभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
कस्यै
|
काभ्याम्
|
काभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
कस्याः
|
काभ्याम्
|
काभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
कस्याः
|
कयोः
|
कासाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
कस्याम्
|
कयोः
|
कासु
|
किम् = कौन/क्या (नपुंसकलिङ्गम् )
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
किम्
|
के
|
कानि
|
द्वितीया विभक्तिः
|
किम्
|
के
|
कानि
|
तृतीया विभक्तिः
|
केन
|
काभ्याम्
|
कैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
कस्मै
|
काभ्याम्
|
केभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
कस्मात्
|
काभ्याम्
|
केभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
कस्य
|
कयोः
|
केषाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
कस्मिन्
|
कयोः
|
केषु
|
******************************
******************************
॥
संख्या ॥
[ १–तः ४–पर्यन्तम् (त्रिषु लिङ्गेषु) + (प्रथमा–विभक्तौ) ]
वचनम् →
शब्दः →
लिङ्गम् ↓
|
एकवचनम्
एक
|
द्विवचनम्
द्वि
|
बहुवचनम्
त्रि
|
बहुवचनम्
चतुर्
|
पुंलिङ्गम्
|
एकः
|
द्वौ
|
त्रयः
|
चत्वारः
|
स्त्रीलिङ्गम्
|
एका
|
द्वे
|
तिस्रः
|
चतस्रः
|
नपुंसकलिङ्गम्
|
एकम्
|
द्वे
|
त्रीणि
|
चत्वारि
|
वाक्यप्रयोगः –
तत्र एकः छात्रः पठति ।
पाकशालायाम् एका महिला भोजनं पचति ।
चित्रकारः एकं चित्रं रचयति ।
सरोवरे द्वौ कलहंसौ (Ducks) तरतः ।
द्वे बालिके गायतः ।
वृक्षात् द्वे फले पततः ।
वृक्षे त्रयः वानराः कूर्दन्ति ।
क्रीडाक्षेत्रे तिस्रः धाविकाः धावन्ति ।
मम विद्यालये त्रीणि भवनानि सन्ति ।
तत्र चत्वारः संस्कृत–शिक्षकाः अस्मान् पाठयन्ति ।
तिस्रः सङ्गीत–शिक्षिकाः अपि सन्ति ।
मम कक्षायां चत्वारि वातायनानि (Windows) सन्ति ।
–––––––––––––––––––
॥ संख्या ॥
|
|||||||
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
||
1
|
एकम्
|
21
|
एकविंशतिः
|
41
|
एकचत्वारिंशत्
|
||
2
|
द्वे
|
22
|
द्वाविंशतिः
|
42
|
द्विचत्वारिंशत्
|
||
3
|
त्रीणि
|
23
|
त्रयोविंशतिः
|
43
|
त्रिचत्वारिंशत्
|
||
4
|
चत्वारि
|
24
|
चतुर्विंशतिः
|
44
|
चतुश्चत्वारिंशत्
|
||
5
|
पञ्च
|
25
|
पञ्चविंशतिः
|
45
|
पञ्चचत्वारिंशत्
|
||
6
|
षट्
|
26
|
षड्विंशतिः
|
46
|
षट्चत्वारिंशत्
|
||
7
|
सप्त
|
27
|
सप्तविंशतिः
|
47
|
सप्तचत्वारिंशत्
|
||
8
|
अष्ट
|
28
|
अष्टाविंशतिः
|
48
|
अष्टचत्वारिंशत्
|
||
9
|
नव
|
29
|
नवविंशतिः
|
49
|
नवचत्वारिंशत्
|
||
10
|
दश
|
30
|
त्रिंशत्
|
50
|
पञ्चाशत्
|
||
11
|
एकादश
|
31
|
एकत्रिंशत्
|
||||
12
|
द्वादश
|
32
|
द्वात्रिंशत्
|
||||
13
|
त्रयोदश
|
33
|
त्रयस्त्रिंशत्
|
||||
14
|
चतुर्दश
|
34
|
चतुस्त्रिंशत्
|
||||
15
|
पञ्चदश
|
35
|
पञ्चत्रिंशत्
|
||||
16
|
षोडश
|
36
|
षट्त्रिंशत्
|
||||
17
|
सप्तदश
|
37
|
सप्तत्रिंशत्
|
||||
18
|
अष्टादश
|
38
|
अष्टात्रिंशत्
|
||||
19
|
नवदश
|
39
|
नवत्रिंशत्
|
||||
20
|
विंशतिः
|
40
|
चत्वारिंशत्
|
________________________________
॥ अव्ययम् ॥
|
|||
क्र.सं.
|
अव्ययम्
|
अर्थः
|
वाक्यरचना
|
१
|
यदा
|
जब
|
यदा अहं मन्दिरं गच्छामि, तदा
प्रार्थनां करोमि ।
|
२
|
तदा
|
तब
|
यदा अहं पठामि, तदा मम
भ्राता अपि पठति ।
|
३
|
सर्वत्र
|
सभी जगह
|
ईश्वरः सर्वत्र अस्ति ।
|
४
|
इतस्ततः
|
इधर–उधर
|
उद्याने बालाः इतस्ततः धावन्ति ।
|
५
|
एकदा
|
एक बार
|
एकदा नगरे एकः सिंहः आगच्छति ।
|
६
|
धिक्
|
धिक्कार/लानत
|
धिक् दुष्टम् । धिक् पापिनम् ।
|
७
|
मा
|
नहीं
|
उच्चैः मा हस ।
कोलाहलं मा कुरु ।
|
८
|
बहिः
|
बाहर
|
|
९
|
अलम्
|
पर्याप्त
|
अलं विवादेन । अलं कोलाहलेन ।
|
१०
|
अपि
|
भी
|
अनुराधा अपि नृत्यति ।
|
________________________
।। उपपद-विभक्तिः।।
विभक्तिः
|
पदम्
|
अर्थः
|
द्वितीया |
उभयतः
|
दोनों ओर
|
अभितः
|
(के) सामने
|
|
परितः
|
चारों ओर
|
|
प्रति
|
(की) ओर
|
|
विना
|
(के) बिना
|
|
तृतीया |
विना
|
(के) बिना
|
काणः
|
काना
|
|
अलम्
|
पर्याप्त/बस
|
|
सह
|
(के) साथ
|
|
बधिरः
|
बहरा
|
वाक्य-प्रयोगः
-
मार्गम् उभयतः नदी अस्ति।
गुरुम् अभितः शिष्याः सन्ति।
विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति।
तपस्वी
वनं प्रति गच्छति।
परिश्रमं विना सफलता न प्राप्यते।
---------------------------------
जलेन विना जीवनं नास्ति।
अलं
विवादेन । कोलाहलेन अलम् ।
बालकः
नेत्रेण काणः अस्ति।
सः
कर्णेन बधिरः अस्ति।
अहं
मित्रेण सह पठामि।
---------------------------------
।। धातुरूपाणि ।।
(परस्मैपदिनः)
भू = होना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भवति
|
भवतः
|
भवन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भवसि
|
भवथः
|
भवथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भवामि
|
भवावः
|
भवामः
|
भू = होना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भविष्यति
|
भविष्यतः
|
भविष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भविष्यसि
|
भविष्यथः
|
भविष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भविष्यामि
|
भविष्यावः
|
भविष्यामः
|
भू = होना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भवतु
|
भवताम्
|
भवन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
भव
|
भवतम्
|
भवत
|
उत्तम–पुरुषः
|
भवानि
|
भवाव
|
भवाम
|
भू = होना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अभवत्
|
अभवताम्
|
अभवन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अभवः
|
अभवतम्
|
अभवत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अभवम्
|
अभवाव
|
अभवाम
|
भू = होना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भवेत्
|
भवेताम्
|
भवेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
भवेः
|
भवेतम्
|
भवेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
भवेयम्
|
भवेव
|
भवेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
गम् (गच्छ) = जाना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गच्छति
|
गच्छतः
|
गच्छन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
गच्छसि
|
गच्छथः
|
गच्छथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
गच्छामि
|
गच्छावः
|
गच्छामः
|
गम् (गच्छ) = जाना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गमिष्यति
|
गमिष्यतः
|
गमिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
गमिष्यसि
|
गमिष्यथः
|
गमिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
गमिष्यामि
|
गमिष्यावः
|
गमिष्यामः
|
गम् (गच्छ) = जाना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गच्छतु
|
गच्छताम्
|
गच्छन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
गच्छ
|
गच्छतम्
|
गच्छत
|
उत्तम–पुरुषः
|
गच्छानि
|
गच्छाव
|
गच्छाम
|
गम् (गच्छ) = जाना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अगच्छत्
|
अगच्छताम्
|
अगच्छन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अगच्छः
|
अगच्छतम्
|
अगच्छत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अगच्छम्
|
अगच्छाव
|
अगच्छाम
|
गम् (गच्छ) = जाना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गच्छेत्
|
गच्छेताम्
|
गच्छेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
गच्छेः
|
गच्छेतम्
|
गच्छेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
गच्छेयम्
|
गच्छेव
|
गच्छेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
दृश् (पश्य) = देखना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पश्यति
|
पश्यतः
|
पश्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पश्यसि
|
पश्यथः
|
पश्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पश्यामि
|
पश्यावः
|
पश्यामः
|
दृश् (पश्य) = देखना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
द्रक्ष्यति
|
द्रक्ष्यतः
|
द्रक्ष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
द्रक्ष्यसि
|
द्रक्ष्यथः
|
द्रक्ष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
द्रक्ष्यामि
|
द्रक्ष्यावः
|
द्रक्ष्यामः
|
दृश् (पश्य) = देखना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पश्यतु
|
पश्यताम्
|
पश्यन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
पश्य
|
पश्यतम्
|
पश्यत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पश्यानि
|
पश्याव
|
पश्याम
|
दृश् (पश्य) = देखना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अपश्यत्
|
अपश्यताम्
|
अपश्यन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अपश्यः
|
अपश्यतम्
|
अपश्यत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अपश्यम्
|
अपश्याव
|
अपश्याम
|
दृश् (पश्य) = देखना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पश्येत्
|
पश्येताम्
|
पश्येयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
पश्येः
|
पश्येतम्
|
पश्येत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पश्येयम्
|
पश्येव
|
पश्येम
|
––––––––––––––––––––––––––––––––––––––
स्था (तिष्ठ) = बैठना, ठहरना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
तिष्ठति
|
तिष्ठतः
|
तिष्ठन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
तिष्ठसि
|
तिष्ठथः
|
तिष्ठथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
तिष्ठामि
|
तिष्ठावः
|
तिष्ठामः
|
स्था (तिष्ठ) = बैठना, ठहरना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्थास्यति
|
स्थास्यतः
|
स्थास्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्थास्यसि
|
स्थास्यथः
|
स्थास्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्थास्यामि
|
स्थास्यावः
|
स्थास्यामः
|
स्था (तिष्ठ) = बैठना, ठहरना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
तिष्ठतु
|
तिष्ठताम्
|
तिष्ठन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
तिष्ठ
|
तिष्ठतम्
|
तिष्ठत
|
उत्तम–पुरुषः
|
तिष्ठानि
|
तिष्ठाव
|
तिष्ठाम
|
स्था (तिष्ठ) = बैठना, ठहरना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अतिष्ठत्
|
अतिष्ठताम्
|
अतिष्ठन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अतिष्ठः
|
अतिष्ठतम्
|
अतिष्ठत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अतिष्ठम्
|
अतिष्ठाव
|
अतिष्ठाम
|
स्था (तिष्ठ) = बैठना, ठहरना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
तिष्ठेत्
|
तिष्ठेताम्
|
तिष्ठेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
तिष्ठेः
|
तिष्ठेतम्
|
तिष्ठेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
तिष्ठेयम्
|
तिष्ठेव
|
तिष्ठेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––
स्मृ = याद करना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्मरति
|
स्मरतः
|
स्मरन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्मरसि
|
स्मरथः
|
स्मरथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्मरामि
|
स्मरावः
|
स्मरामः
|
स्मृ = याद करना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्मरिष्यति
|
स्मरिष्यतः
|
स्मरिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्मरिष्यसि
|
स्मरिष्यथः
|
स्मरिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्मरिष्यामि
|
स्मरिष्यावः
|
स्मरिष्यामः
|
स्मृ = याद करना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्मरतु
|
स्मरताम्
|
स्मरन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्मर
|
स्मरतम्
|
स्मरत
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्मराणि
|
स्मराव
|
स्मराम
|
स्मृ = याद करना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अस्मरत्
|
अस्मरताम्
|
अस्मरन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अस्मरः
|
अस्मरतम्
|
अस्मरत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अस्मरम्
|
अस्मराव
|
अस्मराम
|
स्मृ = याद करना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्मरेत्
|
स्मरेताम्
|
स्मरेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्मरेः
|
स्मरेतम्
|
स्मरेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्मरेयम्
|
स्मरेव
|
स्मरेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––
पठ् = पढ़ना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठति
|
पठतः
|
पठन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठसि
|
पठथः
|
पठथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठामि
|
पठावः
|
पठामः
|
पठ् = पढ़ना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठिष्यति
|
पठिष्यतः
|
पठिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठिष्यसि
|
पठिष्यथः
|
पठिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठिष्यामि
|
पठिष्यावः
|
पठिष्यामः
|
पठ् = पढ़ना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठतु
|
पठताम्
|
पठन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठ
|
पठतम्
|
पठत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठानि
|
पठाव
|
पठाम
|
पठ् = पढना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अपठत्
|
अपठताम्
|
अपठन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अपठः
|
अपठतम्
|
अपठत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अपठम्
|
अपठाव
|
अपठाम
|
पठ् = पढना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठेत्
|
पठेताम्
|
पठेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठेः
|
पठेतम्
|
पठेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठेयम्
|
पठेव
|
पठेम
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
अस् = होना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अस्ति
|
स्तः
|
सन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
असि
|
स्थः
|
स्थ
|
उत्तम–पुरुषः
|
अस्मि
|
स्वः
|
स्मः
|
अस् = होना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भविष्यति
|
भविष्यतः
|
भविष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भविष्यसि
|
भविष्यथः
|
भविष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भविष्यामि
|
भविष्यावः
|
भविष्यामः
|
अस् = होना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अस्तु
|
स्ताम्
|
सन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
एधि
|
स्तम्
|
स्त
|
उत्तम–पुरुषः
|
असानि
|
असाव
|
असाम
|
अस् = होना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
आसीत्
|
आस्ताम्
|
आसन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
आसीः
|
आस्तम्
|
आस्त
|
उत्तम–पुरुषः
|
आसम्
|
आस्व
|
आस्म
|
अस् = होना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
स्यात्
|
स्याताम्
|
स्युः
|
मध्यम–पुरुषः
|
स्याः
|
स्यातम्
|
स्यात
|
उत्तम–पुरुषः
|
स्याम्
|
स्याव
|
स्याम
|
–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
।। धातुरूपाणि ।।
(आत्मनेपदिनः)
सेव् = सेवा करना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
सेवते
|
सेवेते
|
सेवन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
सेवसे
|
सेवेथे
|
सेवध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
सेवे
|
सेवावहे
|
सेवामहे
|
सेव् = सेवा करना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
सेविष्यते
|
सेविष्येते
|
सेविष्यन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
सेविष्यसे
|
सेविष्येथे
|
सेविष्यध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
सेविष्ये
|
सेविष्यावहे
|
सेविष्यामहे
|
–––––––––––––––––––––––––––––
लभ् = प्राप्त होना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लभते
|
लभेते
|
लभन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
लभसे
|
लभेथे
|
लभध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
लभे
|
लभावहे
|
लभामहे
|
लभ् = प्राप्त होना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लप्स्यते
|
लप्स्येते
|
लप्स्यन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
लप्स्यसे
|
लप्स्येथे
|
लप्स्यध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
लप्स्ये
|
लप्स्यावहे
|
लप्स्यामहे
|
–––––––––––––––––––––––––––––
रुच् = रुचना / अच्छा लगना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रोचते
|
रोचेते
|
रोचन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
रोचसे
|
रोचेथे
|
रोचध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
रोचे
|
रोचावहे
|
रोचामहे
|
रुच् = रुचना / अच्छा लगना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
रोचिष्यते
|
रोचिष्येते
|
रोचिष्यन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
रोचिष्यसे
|
रोचिष्येथे
|
रोचिष्यध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
रोचिष्ये
|
रोचिष्यावहे
|
रोचिष्यामहे
|
–––––––––––––––––––––––––––––
शुभ् = शोभित होना/अच्छा दिखना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
शोभते
|
शोभेते
|
शोभन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
शोभसे
|
शोभेथे
|
शोभध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
शोभे
|
शोभावहे
|
शोभामहे
|
शुभ् = शोभित होना/अच्छा दिखना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
शोभिष्यते
|
शोभिष्येते
|
शोभिष्यन्ते
|
मध्यम–पुरुषः
|
शोभिष्यसे
|
शोभिष्येथे
|
शोभिष्यध्वे
|
उत्तम–पुरुषः
|
शोभिष्ये
|
शोभिष्यावहे
|
शोभिष्यामहे
|
–––––––––––––––––––––––––––––
******************************
******************************
|| प्रत्ययः (Suffix) ||
प्रत्यय की परिभाषा - जो शब्दांश धातु अथवा शब्द के अन्त में जुड़कर अर्थ को परिवर्तित/प्रभावित कर दे, उसे ‘प्रत्यय’ कहते हैं।
‘क्त्वा’–प्रत्ययः
o क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग ‘कर (के)’ अर्थ में होता है।
जैसे – पठित्वा = पढ़ करके ।
o क्त्वा का ‘त्वा’ शेष रहता है।
उदाहरणम् –
धातु +
|
प्रत्यय
|
= पद
|
अर्थ
|
श्रु
|
क्त्वा
|
श्रुत्वा
|
सुन कर
|
कृ
|
क्त्वा
|
कृत्वा
|
कर के
|
ज्ञा
|
क्त्वा
|
ज्ञात्वा
|
जान कर
|
नी
|
क्त्वा
|
नीत्वा
|
ले जा कर
|
पठ्
|
क्त्वा
|
पठित्वा
|
पढ़ कर
|
चल्
|
क्त्वा
|
चलित्वा
|
चल कर
|
हस्
|
क्त्वा
|
हसित्वा
|
हँस कर
|
खाद्
|
क्त्वा
|
खादित्वा
|
खा कर
|
वद्
|
क्त्वा
|
उदित्वा
|
बोल कर
|
गम्
|
क्त्वा
|
गत्वा
|
जा कर
|
नम्
|
क्त्वा
|
नत्वा
|
नमन कर
|
दृश्
|
क्त्वा
|
दृष्ट्वा
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देख कर
|
दा
|
क्त्वा
|
दत्त्वा
|
दे कर
|
पा
|
क्त्वा
|
पीत्वा
|
पी कर
|
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‘ल्यप्’–प्रत्ययः
यदि धातु से पहले उपसर्ग हो, तो ‘क्त्वा’ के स्थान पर ‘ल्यप्’ प्रत्यय होता है ।
जैसे – आ+गम्+ल्यप् = आगम्य (आकर) ।
‘ल्यप्’ प्रत्यय का प्रयोग ‘कर (के)’ अर्थ में होता है।
जैसे – विलिख्य = (अच्छे से) लिख कर ।
‘ल्यप्’ का ‘य’ शेष रहता है।
उदाहरणम् –
उपसर्गः +
|
धातु +
|
प्रत्यय
|
= पद
|
अर्थ
|
वि
|
हा
|
ल्यप्
|
विहाय
|
छोड़ कर
|
आ
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गम्
|
ल्यप्
|
आगम्य
|
आ कर
|
वि
|
धा
|
ल्यप्
|
विधाय
|
कर के
|
सम्
|
भू
|
ल्यप्
|
सम्भूय
|
हो कर
|
प्र
|
वि
|
ल्यप्
|
प्रविश्य
|
प्रवेश कर
|
सम्
|
पठ्
|
ल्यप्
|
सम्पठ्य
|
पढ़ कर
|
उप
|
हस्
|
ल्यप्
|
उपहस्य
|
उपहास करके
|
परि
|
भ्रम्
|
ल्यप्
|
परिभ्रम्य
|
पूरा करके
|
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॥ शतृ–प्रत्ययः ॥
• ‘शतृ’–प्रत्यय का प्रयोग वर्तमान
काल में होता है ।
• ‘शतृ’–प्रत्यय परस्मैपदी धातुओं
में लगता है ।
• ‘शतृ’ का ‘अत्’ शेष रहता है ।
• पद/शब्द बनने पर इसके तीनों लिङ्गों में रूप चलते हैं । ‘बलवत्’ की तरह पुंलिङ्ग में, ‘नदी’ की तरह स्त्रीलिङ्ग में
तथा ‘जगत्’ की तरह नपुंसकलिङ्ग में ।
उदाहरणम् –
धातुः + शतृ =मूलशब्दः पुंलिङ्गम् स्त्रीलिङ्गम् नपुंसकलिङ्गम्
गम् + शतृ गच्छत् गच्छन् गच्छन्ती गच्छत्
पठ् + शतृ पठत् पठन् पठन्ती पठत्
धाव् + शतृ धावत् धावन् धावन्ती धावत्
यच्छ् + शतृ यच्छत् यच्छन् यच्छन्ती यच्छत्
दृश् + शतृ पश्यत् पश्यन् पश्यन्ती पश्यत्
लिख् + शतृ लिखत् लिखन् लिखन्ती लिखत्
स्मृ + शतृ स्मरत् स्मरन् स्मरन्ती स्मरत्
वद् + शतृ वदत् वदन् वदन्ती वदत्
हस् + शतृ हसत् हसन् हसन्ती हसत्
चल् + शतृ चलत् चलन् चलन्ती चलत्
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।। उपसर्गः ।।
परिभाषा - जो शब्दांश धातु अथवा शब्द के पहले जुड़कर अर्थ को परिवर्तित/प्रभावित कर दे, उसे ‘उपसर्ग’ कहते हैं।
उदाहरणानि ––
अनु – अनुवादः, अनुसरणम्, अनुस्वारः, अनुभवः, अनुजः
अव – अवबोधः, अवतरणम्, अवकरः, अवधानम्, अवमानना
अभि – अभिज्ञानम्, अभिमानम्, अभिनयः, अभिनेता, अभिषेकः
अधि – अधिकारः, अधिभारः, अधिशासकः, अधिवक्ता, अधिगमनम्
आ – आकारः, आगमनम्, आवेशः, आवेगः, आहारः, आनन्दः
उप – उपकारः, उपहारः, उपनयनम्, उपनिषद्, उपवेशनम्
उत् – उत्सर्गः, उत्कर्षः, उत्साहः, उत्सवः, उद्भवः
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______________________________
– ध्यातव्य बिन्दु –
- जब दो या दो से अधिक संज्ञा/सर्वनाम के पद मिलकर एक पद बनाएँ तो वहाँ ‘समास’ होता है।
- समास हो जाने पर वह एक पद ‘समस्तपद’ कहलाता है।
- समस्तपद में विभक्ति चिह्न आदि का लोप हो जाता है।
- समस्तपद के शब्दों को अलग-अलग करके पुनः विभक्ति आदि लगा देना अर्थात् वाक्य ‘विग्रह’ कहलाता है।
- क्रियापदों में समास नहीं होता।
- समास में समस्तपद के वर्णों में यदि नियम लागू होता हो तो ‘सन्धि’ होती ही है।
- समास मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं -
(‘तत्पुरुषः’ के ही उपभेद ‘द्विगुः’ और ‘कर्मधारयः’ को कुछ लोग अलग समास मानते हैं। अतः इस प्रकार समास के छः भेद हो जाते
हैं।)
तत्पुरुष-समासः
इस समास में उत्तर(दूसरा)पद प्रधान होता है।
इसके द्वितीया से सप्तमी विभक्ति तक 6 भेद हो जाते हैं।
इस समास में उत्तर(दूसरा)पद प्रधान होता है।
इसके द्वितीया से सप्तमी विभक्ति तक 6 भेद हो जाते हैं।
उदाहरणानि -
समस्तपदम्
|
विग्रहः
|
अर्थः
|
गृहगतः
|
गृहं गतः
|
घर गया हुआ
|
कृष्णाश्रितः
|
कृष्णम् आश्रितः
|
कृष्ण पर आश्रित
|
धनहीनः
|
धनेन हीनः
|
धन से हीन
|
मासपूर्वः
|
मासेन पूर्वः
|
एक मास पहले
|
पाठशाला
|
पाठाय शाला
|
पढ़ने के लिये घर
|
भिक्षाटनम्
|
भिक्षायै अटनम्
|
भिक्षा के लिए भ्रमण
|
भयभीतः
|
भयात् भीतः
|
भय से डरा हुआ
|
वृक्षपतितः
|
वृक्षात् पतितः
|
पेड़ से गिरा हुआ
|
देशसेवा
|
देशस्य सेवा
|
देश की सेवा
|
देवालयः
|
देवस्य आलयः
|
देव का आलय
|
राष्ट्रपतिः
|
राष्ट्रस्य पतिः
|
राष्ट्र का पति
|
कार्यकुशलः
|
कार्ये कुशलः
|
कार्य में कुशल
|
जलमग्नः
|
जले मग्नः
|
पानी में डूबा हुआ
|
अनेकः
|
न एकः
|
एक नहीं
|
असत्यम्
|
न सत्यम्
|
सच नहीं
|
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द्वन्द्व-समासः
- ‘द्वन्द्व’ में समाहार अर्थ में समास होता है।
- यह समास ‘च’ के अर्थ में होता है।
- इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं।
उदाहरणानि -
समस्तपदम्
|
विग्रहः
|
अर्थः
|
रामलक्ष्मणौ
|
रामः च लक्ष्मणः च
|
राम और लक्ष्मण
|
सीतारामौ
|
सीता च रामः च
|
सीता और राम
|
मातापितरौ
|
माता च पिता च
|
माता और पिता
|
नकुलसहदेवौ
|
नकुलः च सहदेवः च
|
नकुल और सहदेव
|
पत्रपुष्पफलानि
|
पत्रं च पुष्पं च फलं च
|
पत्ता, फूल और फल
|
रामलक्ष्मणभरतशत्रुघ्नाः
|
रामः च लक्ष्मणः च भरतः च शत्रुघ्नः च
|
राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न
|
धर्मार्थकाममोक्षाः
|
धर्मः च अर्थः च कामः च मोक्षः च
|
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
|
सुखदुःखम्
|
सुखं च दुःखं च एतयोः समाहारः
|
सुख और दुःख का समाहार
|
सर्पनकुलम्
|
सर्पः च नकुलः च तयोः समाहारः
|
साँप और नेवले का समाहार
|
चराचरम्
|
चरः च अचरः च एतयोः समाहारः
|
चर और अचर का समाहार
|
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