॥ पाठ्य–सामग्री ॥
(Study Material)
*** कक्षा – सप्तमी ***
॥ शब्दरूपाणि ॥
अकारान्त–पुंलिङ्गम् – बाल
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
बालः
|
बालौ
|
बालाः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
बालम्
|
बालौ
|
बालान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
बालेन
|
बालाभ्याम्
|
बालैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
बालाय
|
बालाभ्याम्
|
बालेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
बालात्
|
बालाभ्याम्
|
बालेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
बालस्य
|
बालयोः
|
बालानाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
बाले
|
बालयोः
|
बालेषु
|
सम्बोधनम्
|
हे बाल !
|
हे बालौ !
|
हे बालाः !
|
समान रूप वाले शब्द – देव, बालक, राम
आदि।
आकारान्त–स्त्रीलिङ्गम् – माला
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
माला
|
माले
|
मालाः
|
द्वितीया विभक्तिः
|
मालाम्
|
माले
|
मालाः
|
तृतीया विभक्तिः
|
मालया
|
मालाभ्याम्
|
मालाभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
मालायै
|
मालाभ्याम्
|
मालाभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
मालायाः
|
मालाभ्याम्
|
मालाभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
मालायाः
|
मालयोः
|
मालानाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
मालायाम्
|
मालयोः
|
मालासु
|
सम्बोधनम्
|
हे माले !
|
हे माले !
|
हे मालाः !
|
समान
रूप वाले शब्द – बाला, रमा आदि ।
अकारान्त–नपुंसकलिङ्गम् – फल
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
फलम्
|
फले
|
फलानि
|
द्वितीया विभक्तिः
|
फलम्
|
फले
|
फलानि
|
तृतीया विभक्तिः
|
फलेन
|
फलाभ्याम्
|
फलैः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
फलाय
|
फलाभ्याम्
|
फलेभ्यः
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
फलात्
|
फलाभ्याम्
|
फलेभ्यः
|
षष्ठी विभक्तिः
|
फलस्य
|
फलयोः
|
फलानाम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
फले
|
फलयोः
|
फलेषु
|
सम्बोधनम्
|
हे फल !
|
हे फले !
|
हे फलानि !
|
समान
रूप वाले शब्द – वन, पुष्प, पुस्तक आदि।
अस्मद् = मैं, हम
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
अहम्
|
आवाम्
|
वयम्
|
द्वितीया विभक्तिः
|
माम्
|
आवाम्
|
अस्मान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
मया
|
आवाभ्याम्
|
अस्माभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
मह्यम्
|
आवाभ्याम्
|
अस्मभ्यम्
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
मत्
|
आवाभ्याम्
|
अस्मत्
|
षष्ठी विभक्तिः
|
मम
|
आवयोः
|
अस्माकम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
मयि
|
आवयोः
|
अस्मासु
|
युष्मद् = तुम, तुम सब
वचनानि →
विभक्तयः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथमा विभक्तिः
|
त्वम्
|
युवाम्
|
यूयम्
|
द्वितीया विभक्तिः
|
त्वाम्
|
युवाम्
|
युस्मान्
|
तृतीया विभक्तिः
|
त्वया
|
युवाभ्याम्
|
युष्माभिः
|
चतुर्थी विभक्तिः
|
तुह्यम्
|
युवाभ्याम्
|
युष्मभ्यम्
|
पञ्चमी विभक्तिः
|
त्वत्
|
युवाभ्याम्
|
युष्मत्
|
षष्ठी विभक्तिः
|
तव
|
युवयोः
|
युष्माकम्
|
सप्तमी विभक्तिः
|
त्वयि
|
युवयोः
|
युष्मासु
|
_________________________________________
॥ धातुरूपाणि ॥
पठ् = पढ़ना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठति
|
पठतः
|
पठन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठसि
|
पठथः
|
पठथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठामि
|
पठावः
|
पठामः
|
पठ् = पढ़ना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पठिष्यति
|
पठिष्यतः
|
पठिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पठिष्यसि
|
पठिष्यथः
|
पठिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पठिष्यामि
|
पठिष्यावः
|
पठिष्यामः
|
भू = होना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भवति
|
भवतः
|
भवन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भवसि
|
भवथः
|
भवथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भवामि
|
भवावः
|
भवामः
|
भू = होना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भविष्यति
|
भविष्यतः
|
भविष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भविष्यसि
|
भविष्यथः
|
भविष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भविष्यामि
|
भविष्यावः
|
भविष्यामः
|
लिख् = लिखना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लिखति
|
लिखतः
|
लिखन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
लिखसि
|
लिखथः
|
लिखथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
लिखामि
|
लिखावः
|
लिखामः
|
लिख् = लिखना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लेखिष्यति
|
लेखिष्यतः
|
लेखिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
लेखिष्यसि
|
लेखिष्यथः
|
लेखिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
लेखिष्यामि
|
लेखिष्यावः
|
लेखिष्यामः
|
चल् = चलना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
चलति
|
चलतः
|
चलन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
चलसि
|
चलथः
|
चलथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
चलामि
|
चलावः
|
चलामः
|
चल् = चलना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
चलिष्यति
|
चलिष्यतः
|
चलिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
चलिष्यसि
|
चलिष्यथः
|
चलिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
चलिष्यामि
|
चलिष्यावः
|
चलिष्यामः
|
गम् = जाना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गच्छति
|
गच्छतः
|
गच्छन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
गच्छसि
|
गच्छथः
|
गच्छथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
गच्छामि
|
गच्छावः
|
गच्छामः
|
गम् = जाना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
गमिष्यति
|
गमिष्यतः
|
गमिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
गमिष्यसि
|
गमिष्यथः
|
गमिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
गमिष्यामि
|
गमिष्यावः
|
गमिष्यामः
|
अस् = होना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अस्ति
|
स्तः
|
सन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
असि
|
स्थः
|
स्थ
|
उत्तम–पुरुषः
|
अस्मि
|
स्वः
|
स्मः
|
अस् = होना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
भविष्यति
|
भविष्यतः
|
भविष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
भविष्यसि
|
भविष्यथः
|
भविष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
भविष्यामि
|
भविष्यावः
|
भविष्यामः
|
__________________________________
।। दीर्घ-सन्धिः
।।
नियमः –
यदि
पूर्व पद (पहले शब्द) का अन्तिम स्वर अ/आ, इ/ई, उ/ऊ अथवा ऋ/ॠ हो तथा उत्तर पद (दूसरे शब्द) का पहला
स्वर भी उसी समूह का (अ/आ, इ/ई, उ/ऊ अथवा ऋ/ॠ) हो तो दोनों के स्थान पर दीर्घ (आ, ई,
ऊ, ॠ) हो जाता है ।
पूर्वपदस्य अन्तिमवर्णः +
|
उत्तरपदस्य प्रथमवर्णः
|
= परिणामः
|
अ/आ +
|
अ/आ
|
= आ
|
इ/ई +
|
इ/ई
|
= ई
|
उ/ऊ
+
|
उ/ऊ
|
= ऊ
|
ऋ/ॠ
+
|
ऋ/ॠ
|
= ॠ
|
उदाहरणम् ––
सत्य +
अर्थः = सत्यार्थः
तथा + अपि = तथापि
हिम + आलयः = हिमालयः
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
दया + आनन्दः = दयानन्दः
मुनि + इन्द्रः = मुनीन्द्रः
रजनी + ईशः = रजनीशः
परि + ईक्षा = परीक्षा
मही + इन्द्रः = महीन्द्रः
साधु + उक्तिः = साधूक्तिः
सिन्धु + ऊर्मिः = सिन्धूर्मिः
वधू + उत्सवः = वधूत्सवः
भू + ऊर्जा = भूर्जा
पितृ + ऋणम् = पितॄणम्
मातृ + ऋद्धिः = मातॄद्धिः
_________________________
संख्या
|
|||||||
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
संख्या
|
संख्या–शब्दः
|
||
1
|
एकम्
|
21
|
एकविंशतिः
|
41
|
एकचत्वारिंशत्
|
||
2
|
द्वे
|
22
|
द्वाविंशतिः
|
42
|
द्विचत्वारिंशत्
|
||
3
|
त्रीणि
|
23
|
त्रयोविंशतिः
|
43
|
त्रिचत्वारिंशत्
|
||
4
|
चत्वारि
|
24
|
चतुर्विंशतिः
|
44
|
चतुश्चत्वारिंशत्
|
||
5
|
पञ्च
|
25
|
पञ्चविंशतिः
|
45
|
पञ्चचत्वारिंशत्
|
||
6
|
षट्
|
26
|
षड्विंशतिः
|
46
|
षट्चत्वारिंशत्
|
||
7
|
सप्त
|
27
|
सप्तविंशतिः
|
47
|
सप्तचत्वारिंशत्
|
||
8
|
अष्ट
|
28
|
अष्टाविंशतिः
|
48
|
अष्टचत्वारिंशत्
|
||
9
|
नव
|
29
|
नवविंशतिः
|
49
|
नवचत्वारिंशत्
|
||
10
|
दश
|
30
|
त्रिंशत्
|
50
|
पञ्चाशत्
|
||
11
|
एकादश
|
31
|
एकत्रिंशत्
|
||||
12
|
द्वादश
|
32
|
द्वात्रिंशत्
|
||||
13
|
त्रयोदश
|
33
|
त्रयस्त्रिंशत्
|
||||
14
|
चतुर्दश
|
34
|
चतुस्त्रिंशत्
|
||||
15
|
पञ्चदश
|
35
|
पञ्चत्रिंशत्
|
||||
16
|
षोडश
|
36
|
षट्त्रिंशत्
|
||||
17
|
सप्तदश
|
37
|
सप्तत्रिंशत्
|
||||
18
|
अष्टादश
|
38
|
अष्टात्रिंशत्
|
||||
19
|
नवदश
|
39
|
नवत्रिंशत्
|
||||
20
|
विंशतिः
|
40
|
चत्वारिंशत्
|
________________________________
।। उपसर्गः ।।
प्र -- प्रगतिः, प्रकृतिः, प्रमोदः, प्रभवति
आ -- आकारः, आगमनम्, आवेशः, आवेगः, आहारः, आनन्दः
प्रति -- प्रतिदिनम्, प्रतियोगिता, प्रतिगच्छति, प्रतिहसति
सम् -- सम्भवति, संगमः, सम्मानम्, संगतिः
वि -- विशेषः,
विपक्षः, विज्ञानम्, विजयः
निर् -- निर्जनः, निर्भयः, निर्बलः, निर्दोषः
प्रत्यय की परिभाषा - जो शब्दांश धातु अथवा शब्द के अन्त में जुड़कर अर्थ को परिवर्तित/प्रभावित कर दे, उसे ‘प्रत्यय’
कहते हैं।
‘क्त्वा’–प्रत्ययः
o
क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग ‘कर (के)’ अर्थ में होता है।
जैसे – पठित्वा = पढ़ करके ।
o
क्त्वा का ‘त्वा’
शेष रहता है।
उदाहरण –
धातु +
|
प्रत्यय
|
= पद
|
अर्थ
|
श्रु
|
क्त्वा
|
श्रुत्वा
|
सुन
कर
|
कृ
|
क्त्वा
|
कृत्वा
|
कर
के
|
ज्ञा
|
क्त्वा
|
ज्ञात्वा
|
जान
कर
|
नी
|
क्त्वा
|
नीत्वा
|
ले
जा कर
|
पठ्
|
क्त्वा
|
पठित्वा
|
पढ़ कर
|
चल्
|
क्त्वा
|
चलित्वा
|
चल कर
|
हस्
|
क्त्वा
|
हसित्वा
|
हँस
कर
|
खाद्
|
क्त्वा
|
खादित्वा
|
खा
कर
|
वद्
|
क्त्वा
|
उदित्वा
|
बोल
कर
|
गम्
|
क्त्वा
|
गत्वा
|
जा कर
|
नम्
|
क्त्वा
|
नत्वा
|
नमन
कर
|
दृश्
|
क्त्वा
|
दृष्ट्वा
|
देख
कर
|
दा
|
क्त्वा
|
दत्त्वा
|
दे कर
|
पा
|
क्त्वा
|
पीत्वा
|
पी कर
|
_____________________________________
‘तुमुन्’
o
जब दो क्रियाओं का कर्ता एक हो
और उनमें एक क्रिया निमित्तबोधक हो तो धातु से ‘तुमुन्’ प्रत्यय
लगता है।
o
‘के लिए’ अर्थ में ‘तुमुन्’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे - पठितुम् = पढ़ने के लिए।
o
‘तुमुन्’ का ‘तुम्’ शेष रहता है।
उदाहरण -
धातु + प्रत्यय
रूप
दा + तुमुन्
= दातुम्
पा + तुमुन्
= पातुम्
ज्ञा + तुमुन्
= ज्ञातुम्
स्था + तुमुन्
= स्थातुम्
पठ् + तुमुन्
= पठितुम्
खेल् + तुमुन्
= खेलितुम्
हस् + तुमुन्
= हसितुम्
धाव् + तुमुन्
= धावितुम्
नम् + तुमुन्
= नन्तुम्
गम् + तुमुन्
= गन्तुम्
दृश् + तुमुन् = द्रष्टुम्
पृच्छ्
+ तुमुन् = प्रष्टुम्
वच् + तुमुन्
= वक्तुम्
कृ + तुमुन्
= कर्तुम्
श्रु + तुमुन्
= श्रोतुम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
॥ अव्ययम् ॥
|
|||
क्र.सं.
|
अव्ययम्
|
अर्थः
|
वाक्यरचना
|
१
|
एकदा
|
एक बार
|
एकदा नगरे
एकः सिंहः आगच्छति ।
|
२
|
उच्चैः
|
ऊँचा
|
कक्षायाम् उच्चैः मा हस ।
|
३
|
अपि
|
भी
|
अनुराधा अपि नृत्यति ।
|
४
|
बहिः
|
बाहर
|
विद्यालयात् बहिः उद्यानम् अस्ति ।
|
५
|
अधः
|
नीचे
|
आसन्दिकायाः अधः विडालः अस्ति ।
|
६
|
मा
|
नहीं
|
उच्चैः मा हस । कोलाहलं मा कुरु ।
|
७
|
पुरा
|
पहले
|
पुरा दशरथः
मिथिलायाः राजा आसीत् ।
|
८
|
इतस्ततः
|
इधर–उधर
|
उद्याने बालाः इतस्ततः धावन्ति ।
|
______________________________
______________________________
.
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