संरचनात्मक–मूल्याङ्कनम्–४–पाठ्यक्रमः(FA4 Syllabus)- 2016-17
कक्षा – अष्टमी विषयः – संस्कृतम्
१. शब्दरूपाणि – मातृ, पितृ, विद्वस् । इदम् (त्रिषु लिङ्गेषु)
२. धातुरूपाणि – (क) लिख्, पा, कृ (लट्–लृट्–लोट्–लङ्–विधिलिङ्–लकारेषु)
(ख) सेव् , शुभ् (लङ्–लकारे)
३. उपसर्गाः – दुस् , नि, निस् , प्र, प्रति, परि, वि, सम् ।
४. समासौ – अव्ययीभावः, द्वन्द्वः ।
५. सुरभिः । पाठौ – (9) गुणाः पूजास्थानं गुणिषु ।
(10) वचने का दरिद्रता
________________________________
लिख् = लिखना (लृट् लकारः)
लिख् = लिखना (लोट् लकारः)
लिख् = लिखना (लङ् लकारः)
लिख् = लिखना (विधिलिङ् लकारः)
पा (पिब्)= पीना (लट् लकारः)
पा (पिब्)= पीना (लृट् लकारः)
पा (पिब्)= पीना (लोट् लकारः)
पा (पिब्)= पीना (लङ् लकारः)
पा (पिब्)= पीना (विधिलिङ् लकारः)
कृ = करना (लट् लकारः)
कृ = करना (लृट् लकारः)
कृ = करना (लोट् लकारः)
कृ = करना (लङ् लकारः)
कृ = करना (विधिलिङ् लकारः)
सेव् = सेवा करना (लङ् लकारः)
–––––––––––––––––––––––––
।। धातुरूपाणि ।।
लिख् = लिखना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लिखति
|
लिखतः
|
लिखन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
लिखसि
|
लिखथः
|
लिखथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
लिखामि
|
लिखावः
|
लिखामः
|
लिख् = लिखना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लेखिष्यति
|
लेखिष्यतः
|
लेखिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
लेखिष्यसि
|
लेखिष्यथः
|
लेखिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
लेखिष्यामि
|
लेखिष्यावः
|
लेखिष्यामः
|
लिख् = लिखना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लिखतु
|
लिखताम्
|
लिखन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
लिख
|
लिखतम्
|
लिखत
|
उत्तम–पुरुषः
|
लिखानि
|
लिखाव
|
लिखाम
|
लिख् = लिखना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अलिखत्
|
अलिखताम्
|
अलिखन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अलिखः
|
अलिखतम्
|
अलिखत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अलिखम्
|
अलिखाव
|
अलिखाम
|
लिख् = लिखना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
लिखेत्
|
लिखेताम्
|
लिखेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
लिखेः
|
लिखेतम्
|
लिखेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
लिखेयम्
|
लिखेव
|
लिखेम
|
–––––––––––––––––––––––––
पा (पिब्)= पीना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पिबति
|
पिबतः
|
पिबन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पिबसि
|
पिबथः
|
पिबथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पिबामि
|
पिबावः
|
पिबामः
|
पा (पिब्)= पीना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पास्यति
|
पास्यतः
|
पास्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
पास्यसि
|
पास्यथः
|
पास्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
पास्यामि
|
पास्यावः
|
पास्यामः
|
पा (पिब्)= पीना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पिबतु
|
पिबताम्
|
पिबन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
पिब
|
पिबतम्
|
पिबत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पिबानि
|
पिबाव
|
पिबाम
|
पा (पिब्)= पीना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अपिबत्
|
अपिबताम्
|
अपिबन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अपिबः
|
अपिबतम्
|
अपिबत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अपिबम्
|
अपिबाव
|
अपिबाम
|
पा (पिब्)= पीना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
पिबेत्
|
पिबेताम्
|
पिबेयुः
|
मध्यम–पुरुषः
|
पिबेः
|
पिबेतम्
|
पिबेत
|
उत्तम–पुरुषः
|
पिबेयम्
|
पिबेव
|
पिबेम
|
–––––––––––––––––––––––––
कृ = करना (लट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
करोति
|
कुरुतः
|
कुर्वन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
करोषि
|
कुरुथः
|
कुरुथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
करोमि
|
कुर्वः
|
कुर्मः
|
कृ = करना (लृट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
करिष्यति
|
करिष्यतः
|
करिष्यन्ति
|
मध्यम–पुरुषः
|
करिष्यसि
|
करिष्यथः
|
करिष्यथ
|
उत्तम–पुरुषः
|
करिष्यामि
|
करिष्यावः
|
करिष्यामः
|
कृ = करना (लोट् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
करोतु
|
कुरुताम्
|
कुर्वन्तु
|
मध्यम–पुरुषः
|
कुरु
|
कुरुतम्
|
कुरुत
|
उत्तम–पुरुषः
|
करवाणि
|
करवाव
|
करवाम
|
कृ = करना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अकरोत्
|
अकुरुताम्
|
अकुर्वन्
|
मध्यम–पुरुषः
|
अकरोः
|
अकुरुतम्
|
अकुरुत
|
उत्तम–पुरुषः
|
अकरवम्
|
अकुर्व
|
अकुर्म
|
कृ = करना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
कुर्यात्
|
कुर्याताम्
|
कुर्युः
|
मध्यम–पुरुषः
|
कुर्याः
|
कुर्यातम्
|
कुर्यात
|
उत्तम–पुरुषः
|
कुर्याम्
|
कुर्याव
|
कुर्याम
|
–––––––––––––––––––––––––
सेव् = सेवा करना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
असेवत
|
असेवेताम्
|
असेवन्त
|
मध्यम–पुरुषः
|
असेवथाः
|
असेवेथाम्
|
असेवध्वम्
|
उत्तम–पुरुषः
|
असेवे
|
असेवावहि
|
असेवामहि
|
शुभ् = शोभित होना/अच्छा दिखना (लङ् लकारः)
वचनानि →
पुरुषाः↓
|
एकवचनम्
|
द्विवचनम्
|
बहुवचनम्
|
प्रथम–पुरुषः
|
अशोभत
|
अशोभेताम्
|
अशोभन्त
|
मध्यम–पुरुषः
|
अशोभथाः
|
अशोभेथाम्
|
अशोभध्वम्
|
उत्तम–पुरुषः
|
अशोभे
|
अशोभावहि
|
अशोभामहि
|
।। उपसर्गाः ।।
परिभाषा – संस्कृत में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग (prefix) कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है।
उपसर्गः
|
अर्थः
|
उदाहरणम्
|
दुस्
|
बुरा, कठिन
|
दुस्साहसी, दुश्चरित्रः, दुष्कर्म, दुश्शासनः
|
नि
|
निषेध, अधिकता, नीचे
|
निवारणम्, निषेधः, निपतति, नियोगः
|
निस्
|
रहित, पूरा, विपरीत
|
निस्सरति, निस्सन्देहः, निश्चितम्, निश्चलम्
|
प्र
|
अधिक, आगे
|
प्रकृतिः, प्रभावः, प्रख्यातः, प्रबलः
|
प्रति
|
उलटा, सामने, हर एक
|
प्रतियोगिता, प्रतिवदति, प्रतिदिनम्, प्रत्येकम्
|
परि
|
आसपास, चारों तरफ
|
परिवारः, परिहरति, परीक्षा, परिपृच्छति
|
वि
|
भिन्न, विशेष
|
विशेषः, विदेशः, विपक्षः, विहरति
|
सम्
|
उत्तम, साथ, पूर्ण
|
संगमः, सम्भवः, संतुष्टः, संवदति
|
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