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Worksheet (PT1) with Answerkey - Sanskrit - VIII (2024-25)

  उत्तरमाला ~

Saturday, October 31, 2015

Study Material/VIII/SA2/2015-16 @ DAVPS, DWARKA

।। वृद्धि–सन्धिः ।।
नियम -
अ/आ  के बाद  ए/ऐ  आने पर दोनों के स्थान पर ’,
अ/आ  के बाद  ओ/औ  आने पर दोनों के स्थान पर
तथा
अकारान्त/आकारान्त उपसर्ग के बाद ऋ आने पर दोनों के स्थान पर आर्हो जाता है।
उदाहरण -
अ/आ + ए/ऐ = ऐ
एक + एकम् = एकैकम्
परम + ऐश्वर्यम् = परमैश्वर्यम्
सदा + एव = सदैव
जनता + ऐक्यम् = जनतैक्यम्

अ/आ + ओ/औ = औ
जल + ओघः = जलौघः
वन + औषधिः = वनौषधिः
महा + ओषधम् = महौषधम्
महा + औदार्यम् = महौदार्यम्

अ/आ (अकारान्त/आकारान्त उपसर्ग) + ऋ = आर्
उप + ऋच्छति = उपार्च्छति
प्र + ऋणम् = प्रार्णम्

_________________________________________

।। यण्–सन्धिः ।।
नियम -
यदि इक् ( इ/ई, उ/ऊ, ऋ/ऋॄ तथा लृ) के बाद असमान स्वर हों, तो उन्हें यण्’ (य्, व्, र् तथा ल्) आदेश हो जाता है।

विवरणिका -       
इ/ई + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = य्
उ/ऊ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = व्
ऋ/ऋॄ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = र्
लृ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = ल्

उदाहरण -
इ/ई + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = य्
यदि + अपि = यद्यपि
इति + आदिः = इत्यादिः
प्रति + एकम् = प्रत्येकम्
सुधी + उपास्यः = सुध्युपास्यः

उ/ऊ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = व्
मधु + अरिः = मध्वरिः
सु + आगतम् = स्वागतम्
गुरु + आदेशः = गुर्वादेशः
वधू + आगमनम् = वध्वागमनम्

ऋ/ ऋॄ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = र्
मातृ + अंशः = मात्रंशः
पितृ + आदेशः = पित्रादेशः

लृ + असमान स्वर (अ, , ए आदि) = ल्
लृ + आकारः = लाकारः
लृ + आकृतिः = लाकृतिः
------------------------------------------------


संख्या (1-100)
संख्या
संख्या–शब्दः

संख्या
संख्या–शब्दः

संख्या
संख्या–शब्दः
1
एकम्

36
षट्त्रिंशत्

71
एकसप्ततिः
2
द्वे

37
सप्तत्रिंशत्

72
द्विसप्ततिः
3
त्रीणि

38
अष्टात्रिंशत्

73
त्रिसप्ततिः
4
चत्वारि

39
नवत्रिंशत्

74
चतुःसप्ततिः
5
पञ्च

40
चत्वारिंशत्

75
पञ्चसप्ततिः
6
षट्

41
एकचत्वारिंशत्

76
षट्सप्ततिः
7
सप्त

42
द्विचत्वारिंशत्

77
सप्तसप्ततिः
8
अष्ट

43
त्रिचत्वारिंशत्

78
अष्टसप्ततिः
9
नव

44
चतुश्चत्वारिंशत्

79
नवसप्ततिः
10
दश

45
पञ्चचत्वारिंशत्

80
अशीतिः
11
एकादश

46
षट्चत्वारिंशत्

81
एकाशीतिः
12
द्वादश

47
सप्तचत्वारिंशत्

82
द्व्यशीतिः
13
त्रयोदश

48
अष्टचत्वारिंशत्

83
त्र्यशीतिः
14
चतुर्दश

49
नवचत्वारिंशत्

84
चतुरशीतिः
15
पञ्चदश

50
पञ्चाशत्

85
पञ्चाशीतिः
16
षोडश

51
एकपञ्चाशत्

86
षडशीतिः
17
सप्तदश

52
द्विपञ्चाशत्

87
सप्ताशीतिः
18
अष्टादश

53
त्रिपञ्चाशत्

88
अष्टाशीतिः
19
नवदश

54
चतुःपञ्चाशत्

89
नवाशीतिः
20
विंशतिः

55
पञ्चपञ्चाशत्

90
नवतिः
21
एकविंशतिः

56
षट्पञ्चाशत्

91
एकनवतिः
22
द्वाविंशतिः

57
सप्तपञ्चाशत्

92
द्विनवतिः
23
त्रयोविंशतिः

58
अष्टपञ्चाशत्

93
त्रिणवतिः
24
चतुर्विंशतिः

59
नवपञ्चाशत्

94
चतुर्ण्णवतिः
25
पञ्चविंशतिः

60
षष्टिः

95
पञ्चनवतिः
26
षड्विंशतिः

61
एकषष्टिः

96
षण्णवतिः
27
सप्तविंशतिः

62
द्विषष्टिः

97
सप्तनवतिः
28
अष्टाविंशतिः

63
त्रिषष्टिः

98
अष्टनवतिः
29
नवविंशतिः

64
चतुष्षष्टिः

99
नवनवतिः
30
त्रिंशत्

65
पञ्चषष्टिः

100
शतम्
31
एकत्रिंशत्

66
षट्षष्टिः



32
द्वात्रिंशत्

67
सप्तषष्टिः



33
त्रयस्त्रिंशत्

68
अष्टषष्टिः



34
चतुस्त्रिंशत्

69
नवषष्टिः



35
पञ्चत्रिंशत्

70
सप्ततिः





------------------------------------------------

------------------------------------------------
॥ संख्या ॥
[ १–तः ४–पर्यन्तम् (त्रिषु लिङ्गेषु) ]
(प्रथमा–विभक्तौ)
वचनम् 
शब्दः
लिङ्गम् 
एकवचनम्
एक
द्विवचनम्
द्वि
बहुवचनम्
त्रि
बहुवचनम्
चतुर्
पुंलिङ्गम्
एकः
द्वौ
त्रयः
चत्वारः
स्त्रीलिङ्गम्
एका
द्वे
तिस्रः
चतस्रः
नपुंसकलिङ्गम्
एकम्
द्वे
त्रीणि
चत्वारि

वाक्यप्रयोगः –

तत्र एकः  छात्रः पठति ।
पाकशालायाम् एका  महिला भोजनं पचति ।
चित्रकारः एकं  चित्रं रचयति ।
सरोवरे द्वौ  कलहंसौ (Ducks) तरतः ।
द्वे  बालिके गायतः ।
वृक्षात् द्वे  फले पततः ।
वृक्षे त्रयः  वानराः कूर्दन्ति ।
क्रीडाक्षेत्रे तिस्रः  धाविकाः धावन्ति ।
मम विद्यालये त्रीणि  भवनानि सन्ति ।
तत्र चत्वारः  संस्कृत–शिक्षकाः अस्मान् पाठयन्ति ।
तिस्रः  सङ्गीत–शिक्षिकाः अपि सन्ति ।

मम कक्षायां चत्वारि  वातायनानि (Windows) सन्ति ।


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------------------------------------------------


अव्ययम्
क्र.सं.
अव्ययम्
अर्थः
वाक्यरचना
पुरा
पहले
पुरा दशरथः मिथिलायाः राजा आसीत् ।
ऋते
(के) बिना
ज्ञानात् ऋते मुक्तिः न भवति ।
विना
(के) बिना
जलं/जलेन विना जीवनं नास्ति ।
नमः
नमस्कार
शिवाय नमः । गुरवे नमः
एव
ही
सः एव मम गुरुः अस्ति ।
नीचैः
नीचे
पर्वतस्य नीचैः नदी वहति ।
उच्चैः
ऊँचा
वने हरिणः उच्चैः कूर्दति ।
अधुना
अब
अधुना सर्वे छात्राः बहिः खेलन्ति ।
ह्यः
कल (बीता हुआ)
ह्यः मम गृहे उत्सवः आसीत् ।
१०
श्वः
कल (आने वाला)
श्वः विद्यालये विज्ञान–प्रदर्शनी भविष्यति ।

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------------------------------------------------
प्रत्ययः (Suffix)
प्रत्यय की परिभाषा -  जो ब्दां धातु अथवा ब्द के अन्त में जुड़कर अर्थ को परिवर्तित/प्रभावित कर दे, उसे प्रत्ययकहते हैं।
तुमुन्
o   जब दो क्रियाओं का कर्ता एक हो और उनमें एक क्रिया निमित्तबोधक हो तो धातु से तुमुन्प्रत्यय लगता है।
o   के लिएअर्थ में तुमुन्प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे - पठितुम् = पढ़ने के लिए।
o   तुमुन्का तुम्शेष रहता है।
उदाहरण -
धातु + प्रत्यय               रूप
दा + तुमुन् =           दातुम्
पा + तुमुन् =           पातुम्
ज्ञा + तुमुन् =          ज्ञातुम्
स्था + तुमुन् =         स्थातुम्

पठ् + तुमुन् =          पठितुम्
खेल् + तुमुन् =        खेलितुम्
हस् + तुमुन् =         हसितुम्
धाव् + तुमुन् =        धावितुम्

नम् + तुमुन् =         नन्तुम्
गम् + तुमुन् =         गन्तुम्
दृश् + तुमुन् =         द्रष्टुम्
पृच्छ् + तुमुन् =       प्रष्टुम्
वच् + तुमुन् =         वक्तुम्
कृ + तुमुन् =           कर्तुम्
श्रु + तुमुन् =           श्रोतुम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
क्त (क्त)
o   धातु से भूतकालिक विशेषण (Past participle) बनाने के लिए क्तप्रत्यय का प्रयोग होता है।
o   क्तप्रत्यय क्रिया की समाप्ति का ज्ञान कराता है। जैसे - पठितः = पढ़ा गया।
o   क्तका शेष रहता है।
o   क्तप्रत्यय के साथ कर्मवाच्य (Passive voice) का प्रयोग होता है।
o   इस प्रत्यय के साथ कर्ता में तृतीया व कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है।
o   इसके रूप पुंलिङ्ग में देव’, स्त्रीलिङ्ग में लताव नपुंसकलिङ्ग में फलकी तरह चलते हैं।
o   क्तप्रत्यय के लिङ्ग व वचन कर्म के अनुसार होते हैं। जैसे -  देवेन पाठः पठितः। (देव के द्वारा पाठ पढ़ा गया।)
o   रमया फलानि खादितानि। (रमा के द्वारा फल खाये गए।)
 उदाहरण -
धातु + प्रत्यय           मूलरूप         पुंलिङ्ग           स्त्रीलिङ्ग         नपुंसकलिङ्ग
ज्ञा + क्त                 ज्ञात             ज्ञातः            ज्ञाता            ज्ञातम्
या + क्त                  यात              यातः            याता             यातम्
कृ + क्त                  कृत              कृतः             कृता             कृतम्

पठ् + क्त                 पठित            पठितः          पठिता           पठितम्
खाद् + क्त               खादित          खादितः         खादिता         खादितम्
लिख् + क्त              लिखित         लिखितः        लिखिता        लिखितम्
क्रीड् + क्त               क्रीडित          क्रीडितः        क्रीडिता         क्रीडितम्

गम् + क्त                गत               गतः             गता              गतम्
दृश् + क्त                दृष्ट               दृष्टः              दृष्टा              दृष्टम्
श् + क्त                नष्ट               नष्टः              नष्टा              नष्टम्
पा + क्त                  पीत              पीतः             पीता             पीतम्
–––––––––––––––––––––––––––––––
 ‘क्तवतु
o   धातु से भूतकालिक विशेषण (Past participle) बनाने के लिए क्तवतुप्रत्यय का प्रयोग होता है।
o   क्तवतुप्रत्यय क्रिया की समाप्ति का ज्ञान कराता है। जैसे - पठितवान् = पढ़ा/पढ़ चुका। 
o   क्तवतुका तवत्शेष रहता है।
o   क्तवतुप्रत्यय के साथ कर्तृवाच्य (Active voice) का प्रयोग होता है। जैसे - अहं खादितवान्। (मैंने खाया।) सः पठितवान्। (उसने पढ़ा।)
o   इसके तीनों लिङ्गों में रूप चलते हैं।
उदाहरण -
धातु + प्रत्यय           मूलरूप         पुंलिङ्ग           स्त्रीलिङ्ग         नपुंसकलिङ्ग
ज्ञा + क्तवतु             ज्ञातवत्         ज्ञातवान्        ज्ञातवती        ज्ञातवत्
या + क्तवतु             यातवत्         यातवान्        यातवती        यातवत्
कृ + क्तवतु              कृतवत्         कृतवान्         कृतवती         कृतवत्

पठ् + क्तवतु             पठितवत्       पठितवान्      पठितवती      पठितवत्
खाद् + क्तवतु           खादितवत्      खादितवान्     खादितवती     खादितवत्
लिख् + क्तवतु          लिखितवत्     लिखितवान्    लिखितवती    लिखितवत्
क्रीड् + क्तवतु           क्रीडितवत्     क्रीडितवान्    क्रीडितवती    क्रीडितवत्

गम् + क्तवतु            गतवत्          गतवान्         गतवती         गतवत्
दृश् + क्तवतु            दृष्टवत्           दृष्टवान्          दृष्टवती          दृष्टवत्
श् + क्तवतु            नष्टवत्           नष्टवान्          नष्टवती          नष्टवत्
पा + क्तवतु              पीतवत्          पीतवान्         पीतवती         पीतवत्

–––––––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––––––
॥ शब्दरूपाणि ॥
मुनि = महात्मा, तपस्वी
वचनानि 
विभक्तयः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा विभक्तिः
मुनिः
मुनी
मुनयः
द्वितीया विभक्तिः
मुनिम्
मुनी
मुनीन्
तृतीया विभक्तिः
मुनिना
मुनिभ्याम्
मुनिभिः
चतुर्थी विभक्तिः
मुनये
मुनिभ्याम्
मुनिभ्यः
पञ्चमी विभक्तिः
मुनेः
मुनिभ्याम्
मुनिभ्यः
षष्ठी विभक्तिः
मुनेः
मुन्योः
मुनीनाम्
सप्तमी विभक्तिः
मुनौ
मुन्योः
मुनिषु
सम्बोधनम्
हे मुने !
हे मुनी !
हे मुनयः !
_____________________________________
मति = बुद्धि
वचनानि 
विभक्तयः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा विभक्तिः
मतिः
मती
मतयः
द्वितीया विभक्तिः
मतिम्
मती
मतीः
तृतीया विभक्तिः
मत्या
मतिभ्याम्
मतिभिः
चतुर्थी विभक्तिः
मत्यै, मतये
मतिभ्याम्
मतिभ्यः
पञ्चमी विभक्तिः
मत्याः, मतेः
मतिभ्याम्
मतिभ्यः
षष्ठी विभक्तिः
मत्याः, मतेः
मत्योः
मतीनाम्
सप्तमी विभक्तिः
मत्याम्, मतौ
मत्योः
मतिषु
सम्बोधनम्
हे मते !
हे मती !
हे मतयः !
_____________________________________
तत् = वह (पुंलिङ्गम् )
वचनानि 
विभक्तयः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा विभक्तिः
सः
तौ
ते
द्वितीया विभक्तिः
तम्
तौ
तान्
तृतीया विभक्तिः
तेन
ताभ्याम्
तैः
चतुर्थी विभक्तिः
तस्मै
ताभ्याम्
तेभ्यः
पञ्चमी विभक्तिः
तस्मात्
ताभ्याम्
तेभ्यः
षष्ठी विभक्तिः
तस्य
तयोः
तेषाम्
सप्तमी विभक्तिः
तस्मिन्
तयोः
तेषु
तत् = वह (स्त्रीलिङ्गम् )
वचनानि 
विभक्तयः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा विभक्तिः
सा
ते
ताः
द्वितीया विभक्तिः
ताम्
ते
ताः
तृतीया विभक्तिः
तया
ताभ्याम्
ताभिः
चतुर्थी विभक्तिः
तस्यै
ताभ्याम्
ताभ्यः
पञ्चमी विभक्तिः
तस्याः
ताभ्याम्
ताभ्यः
षष्ठी विभक्तिः
तस्याः
तयोः
तासाम्
सप्तमी विभक्तिः
तस्याम्
तयोः
तासु
तत् = वह (नपुंसकलिङ्गम् )
वचनानि 
विभक्तयः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथमा विभक्तिः
तत्
ते
तानि
द्वितीया विभक्तिः
तत्
ते
तानि
तृतीया विभक्तिः
तेन
ताभ्याम्
तैः
चतुर्थी विभक्तिः
तस्मै
ताभ्याम्
तेभ्यः
पञ्चमी विभक्तिः
तस्मात्
ताभ्याम्
तेभ्यः
षष्ठी विभक्तिः
तस्य
तयोः
तेषाम्
सप्तमी विभक्तिः
तस्मिन्
तयोः
तेषु
–––––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––––


।। धातुरूपाणि ।।

वद् = बोलना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
वदति
वदतः
वदन्ति
मध्यम–पुरुषः
वदसि
वदथः
वदथ
उत्त–पुरुषः
वदामि
वदावः
वदामः
वद् = बोलना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
वदिष्यति
वदिष्यतः
वदिष्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
वदिष्यसि
वदिष्यथः
वदिष्यथ
उत्त–पुरुषः
वदिष्यामि
वदिष्यावः
वदिष्यामः
वद् = बोलना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
वदतु
वदताम्
वदन्तु
मध्यम–पुरुषः
वद
वदतम्
वदत
उत्त–पुरुषः
वदानि
वदाव
वदाम
वद् = बोलना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अवदत्
अवदताम्
अवदन्
मध्यम–पुरुषः
अवदः
अवदतम्
अवदत
उत्त–पुरुषः
अवदम्
अवदाव
अवदाम
वद् = बोलना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
वदेत्
वदेताम्
वदेयुः
मध्यम–पुरुषः
वदेः
वदेतम्
वदेत
उत्त–पुरुषः
वदेयम्
वदेव
वदेम
–––––––––––––––––––––––––––––––
नम् = नमस्कार करना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
नमति
नमतः
नमन्ति
मध्यम–पुरुषः
नमसि
नमथः
नमथ
उत्त–पुरुषः
नमामि
नमावः
नमामः
नम् = नमस्कार करना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
नंस्यति
नंस्यतः
नंस्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
नंस्यसि
नंस्यथः
नंस्यथ
उत्त–पुरुषः
नंस्यामि
नंस्यावः
नंस्यामः
नम् = नमस्कार करना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
नमतु
नमताम्
नमन्तु
मध्यम–पुरुषः
नम
नमतम्
नमत
उत्त–पुरुषः
नमानि
नमाव
नमाम
नम् = नमस्कार करना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अनमत्
अनमताम्
अनमन्
मध्यम–पुरुषः
अनमः
अनमतम्
अनमत
उत्त–पुरुषः
अनमम्
अनमाव
अनमाम
नम् = नमस्कार करना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
नमेत्
नमेताम्
नमेयुः
मध्यम–पुरुषः
नमेः
नमेतम्
नमेत
उत्त–पुरुषः
नमेयम्
नमेव
नमेम

–––––––––––––––––––––––––
त्यज् = छोड़ना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
त्यजति
त्यजतः
त्यजन्ति
मध्यम–पुरुषः
त्यजसि
त्यजथः
त्यजथ
उत्त–पुरुषः
त्यजामि
त्यजावः
त्यजामः
त्यज् = छोड़ना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
त्यक्ष्यति
त्यक्ष्यतः
त्यक्ष्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
त्यक्ष्यसि
त्यक्ष्यथः
त्यक्ष्यथ
उत्त–पुरुषः
त्यक्ष्यामि
त्यक्ष्यावः
त्यक्ष्यामः
त्यज् = छोड़ना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
त्यजतु
त्यजताम्
त्यजन्तु
मध्यम–पुरुषः
त्यज
त्यजतम्
त्यजत
उत्त–पुरुषः
त्यजानि
त्यजाव
त्यजाम
त्यज् = छोड़ना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अत्यजत्
अत्यजताम्
अत्यजन्
मध्यम–पुरुषः
अत्यजः
अत्यजतम्
अत्यजत
उत्त–पुरुषः
अत्यजम्
अत्यजाव
अत्यजाम
त्यज् = छोड़ना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
त्यजेत्
त्यजेताम्
त्यजेयुः
मध्यम–पुरुषः
त्यजेः
त्यजेतम्
त्यजेत
उत्त–पुरुषः
त्यजेयम्
त्यजेव
त्यजेम

–––––––––––––––––––––––––
रच् = बनाना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
रचयति
रचयतः
रचयन्ति
मध्यम–पुरुषः
रचयसि
रचयथः
रचयथ
उत्त–पुरुषः
रचयामि
रचयावः
रचयामः
रच् = बनाना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
रचयिष्यति
रचयिष्यतः
रचयिष्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
रचयिष्यसि
रचयिष्यथः
रचयिष्यथ
उत्त–पुरुषः
रचयिष्यामि
रचयिष्यावः
रचयिष्यामः
रच् = बनाना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
रचयतु
रचयताम्
रचयन्तु
मध्यम–पुरुषः
रचय
रचयतम्
रचयत
उत्त–पुरुषः
रचयानि
रचयाव
रचयाम
रच् = बनाना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अरचयत्
अरचयताम्
अरचयन्
मध्यम–पुरुषः
अरचयः
अरचयतम्
अरचयत
उत्त–पुरुषः
अरचयम्
अरचयाव
अरचयाम
रच् = बनाना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
रचयेत्
रचयेताम्
रचयेयुः
मध्यम–पुरुषः
रचयेः
रचयेतम्
रचयेत
उत्त–पुरुषः
रचयेयम्
रचयेव
रचयेम

–––––––––––––––––––––––––
लिख् = लिखना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
लिखति
लिखतः
लिखन्ति
मध्यम–पुरुषः
लिखसि
लिखथः
लिखथ
उत्त–पुरुषः
लिखामि
लिखावः
लिखामः
लिख् = लिखना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
लेखिष्यति
लेखिष्यतः
लेखिष्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
लेखिष्यसि
लेखिष्यथः
लेखिष्यथ
उत्त–पुरुषः
लेखिष्यामि
लेखिष्यावः
लेखिष्यामः
लिख् = लिखना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
लिखतु
लिखताम्
लिखन्तु
मध्यम–पुरुषः
लिख
लिखतम्
लिखत
उत्त–पुरुषः
लिखानि
लिखाव
लिखाम
लिख् = लिखना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अलिखत्
अलिखताम्
अलिखन्
मध्यम–पुरुषः
अलिखः
अलिखतम्
अलिखत
उत्त–पुरुषः
अलिखम्
अलिखाव
अलिखाम
लिख् = लिखना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
लिखेत्
लिखेताम्
लिखेयुः
मध्यम–पुरुषः
लिखेः
लिखेतम्
लिखेत
उत्त–पुरुषः
लिखेयम्
लिखेव
लिखेम
–––––––––––––––––––––––––
पा (पिब्)= पीना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
पिबति
पिबतः
पिबन्ति
मध्यम–पुरुषः
पिबसि
पिबथः
पिबथ
उत्त–पुरुषः
पिबामि
पिबावः
पिबामः
पा (पिब्)= पीना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
पास्यति
पास्यतः
पास्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
पास्यसि
पास्यथः
पास्यथ
उत्त–पुरुषः
पास्यामि
पास्यावः
पास्यामः
पा (पिब्)= पीना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
पिबतु
पिबताम्
पिबन्तु
मध्यम–पुरुषः
पिब
पिबतम्
पिबत
उत्त–पुरुषः
पिबानि
पिबाव
पिबाम
पा (पिब्)= पीना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अपिबत्
अपिबताम्
अपिबन्
मध्यम–पुरुषः
अपिब
अपिबतम्
अपिबत
उत्त–पुरुषः
अपिबम्
अपिबाव
अपिबाम
पा (पिब्)= पीना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
पिबेत्
पिबेताम्
पिबेयुः
मध्यम–पुरुषः
पिबेः
पिबेतम्
पिबेत
उत्त–पुरुषः
पिबेयम्
पिबेव
पिबेम
–––––––––––––––––––––––––
कृ = करना (लट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
करोति
कुरुतः
कुर्वन्ति
मध्यम–पुरुषः
करोषि
कुरुथः
कुरुथ
उत्त–पुरुषः
करोमि
कुर्वः
कुर्मः
कृ = करना (लृट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
करिष्यति
करिष्यतः
करिष्यन्ति
मध्यम–पुरुषः
करिष्यसि
करिष्यथः
करिष्यथ
उत्त–पुरुषः
करिष्यामि
करिष्यावः
करिष्यामः
कृ = करना (लोट् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
करोतु
कुरुताम्
कुर्वन्तु
मध्यम–पुरुषः
कुरु
कुरुतम्
कुरुत
उत्त–पुरुषः
करवाणि
करवाव
करवाम
कृ = करना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अकरोत्
अकुरुताम्
अकुर्वन्
मध्यम–पुरुषः
अकरोः
अकुरुतम्
अकुरुत
उत्त–पुरुषः
अकरवम्
अकुर्व
अकुर्म
कृ = करना (विधिलिङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
कुर्यात्
कुर्याताम्
कुर्युः
मध्यम–पुरुषः
कुर्याः
कुर्यातम्
कुर्यात
उत्त–पुरुषः
कुर्याम्
कुर्याव
कुर्याम
–––––––––––––––––––––––––
–––––––––––––––––––––––––
सेव् = सेवा करना  (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
असेवत
असेवेताम्
असेवन्त
मध्यम–पुरुषः
असेवथाः
असेवेथाम्
असेवध्वम्
उत्त–पुरुषः
असेवे
असेवावहि
असेवामहि
शुभ् = शोभित होना/अच्छा दिखना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अशोभत
अशोभेताम्
अशोभन्त
मध्यम–पुरुषः
अशोभथाः
अशोभेथाम्
अशोभध्वम्
उत्त–पुरुषः
अशोभे
अशोभावहि
अशोभामहि
रुच् = रुचना / अच्छा लगना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अरोचत
अरोचेताम्
अरोचन्त
मध्यम–पुरुषः
अरोचथाः
अरोचेथाम्
अरोचध्वम्
उत्त–पुरुषः
अरोचे
अरोचावहि
अरोचामहि
लभ् = प्राप्त होना (लङ् लकारः)
वचनानि 
पुरुषाः
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
प्रथम–पुरुषः
अलभत
अलभेताम्
अलभन्त
मध्यम–पुरुषः
अलभथाः
अलभेथाम्
अलभध्वम्
उत्त–पुरुषः
अलभे
अलभावहि
अलभामहि